जिन्हें चम्बल में रहना था वे अब संसद में रहते हैं।
किसी ने ठीक ही कहा है।
हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे हैं। इन्हें जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर संसद और विधानसभा में भेजा है।
अब वक़्त आ गया है इन्हें जेल भेजा जाए। अपने-अपने कार्यों के अनुरूप। लोकतांत्रिक देश में ये आज़ाद घूमने लायक तो नहीं हैं।
संत कबीर नगर में जिला योजना की बैठक हो रही है।
बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह को जूतों से पीट डाला।
पहले बहस शुरू हुई, फिर हाथापाई। फिर गालियां और कुटाई साथ साथ।
और जनता इनसे उम्मीद करती है ये विकास करने के लिए बैठे हैं। ये क्रेडिटखोर लोग हैं, इन्हें बस क्रेडिट चाहिए सीवी मजबूत करने के लिए।
अगर बीजेपी में थोड़ी भी शर्म बची होगी तो इन दोनों महानुभावों को पार्टी से बाहर फेंक देगी। साथ ही दूसरी पार्टियों को भी इन्हें लपकने में उत्सुकता नहीं दिखाई जानी चाहिए।
लोकतंत्र के काले धब्बे हैं ऐसे नेता। इनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिये।
(वीडियो सुनने से पहले हेडफोन इस्तेमाल करें, और बच्चे इस पोस्ट से दूर रहें।)
किसी ने ठीक ही कहा है।
हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे हैं। इन्हें जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर संसद और विधानसभा में भेजा है।
अब वक़्त आ गया है इन्हें जेल भेजा जाए। अपने-अपने कार्यों के अनुरूप। लोकतांत्रिक देश में ये आज़ाद घूमने लायक तो नहीं हैं।
संत कबीर नगर में जिला योजना की बैठक हो रही है।
बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह को जूतों से पीट डाला।
पहले बहस शुरू हुई, फिर हाथापाई। फिर गालियां और कुटाई साथ साथ।
और जनता इनसे उम्मीद करती है ये विकास करने के लिए बैठे हैं। ये क्रेडिटखोर लोग हैं, इन्हें बस क्रेडिट चाहिए सीवी मजबूत करने के लिए।
अगर बीजेपी में थोड़ी भी शर्म बची होगी तो इन दोनों महानुभावों को पार्टी से बाहर फेंक देगी। साथ ही दूसरी पार्टियों को भी इन्हें लपकने में उत्सुकता नहीं दिखाई जानी चाहिए।
लोकतंत्र के काले धब्बे हैं ऐसे नेता। इनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिये।
(वीडियो सुनने से पहले हेडफोन इस्तेमाल करें, और बच्चे इस पोस्ट से दूर रहें।)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-03-2019) को "जूता चलता देखकर, जनसेवक लाचार" (चर्चा अंक-3268) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बिल्कुल सही कहा आपने। ऐसे लोगों को संसद में नहीं, चम्बल में रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट: ग़ज़ल को उम्दा रखेंगे।
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