रविवार, 27 नवंबर 2016

परिवर्तन रैली के बहाने


प्रधानमंत्री ने कुशीनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि "हम भ्रष्टाचार और कालाधन बंद करने का काम कर रहे हैं, विपक्ष भारत बंद करने का।"
उनके कहने का आशय यह है कि
विपक्ष  उनके साथ सर्जिकल स्ट्राइक कर रहा है।
नोटबंदी जैसा बड़ा परिवर्तन लाने के बाद अब मोदी जी उत्तर प्रदेश में परिवर्तन यात्रा पर हैं।
वैसे भी सबसे ज्यादा परिवर्तन की जरूरत यहीं है।
देखने वाली बात ये होगी कि यूपी की जनता भाजपा के विरुद्ध बाक़ी पार्टियों के साथ मिलकर सर्जिकल स्ट्राइक करती है या अपने देश भक्ति के प्रमाण पत्र को रद्द होने से  बचाती है।
प्रधानमंत्री आधुनिक लेनिन हैं पूंजीपतियों को कंगाल करके मानेंगे। रैली में उन्होंने कहा कि मेरे  इस कदम से ग़रीबों को छोटी मुश्किल होगी और अमीरों को ज्यादा, लेकिन अगर आप अम्बानी या बिड़ला हैं तो "यू डोंट हैव टू वरी अबाउट इट।"
वैसे भी हमारे कानून में एक कहावत है कि " ए किंग कैन डू नो रोंग" अर्थात राजा कभी गलत नहीं कर सकता।
मित्रों! सिर्फ़ पचास दिन की बात है, अभी तो बीस ही दिन बचे हैं।
भाई साहब! बीस दिन में कचूमर निकल गया , तीस दिन में क्या-क्या होना बाकी है?
प्रधानमंत्री  ने कहा कि देश में आधे से ज्यादा लोग ऑनलाइन टिकट खरीद रहे हैं ।ऐसे में शायद कोई प्रधानमंत्री को ये बताने वाला नहीं है कि पाले काका या नकाही वाली काकी आनलाइन ट्रांजेक्सन नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास न तो फोन है और न ही एटीएम कार्ड। अगर हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि वे निरक्षर हैं।
ऐसे ही देश की बड़ी आबादी निरक्षर है जिससे आनलाइन ट्रांजेक्सन करने की उम्मीद करना बेवकूफी है।
भारत गांवों में बसता है और वहां एटीएम की सुविधाएं तक नहीं है पेटिएम की क्या बात करें?
भुखमरी, गरीबी और बदनसीबी के दौर में भारत भले ही डिजिटल हो रहा हो पर एक बड़ी आबादी विकल है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री के अनुसार नोटबंदी सबसे उचित हथियार था देश के अंदर पांव पसारे काले धन के वध के लिए , इसे जनता ने स्वीकार किया है पर इसका क्रियान्वयन ठीक ढंग से नहीं हुआ इसे प्रधानमंत्री जी को स्वीकार कर लेना चाहिए।
सत्तर साल के लूट की इनकम को मोदी जी गरीबों को स्कूल, गैस कनेक्शन, खेती के लिए ऋण, विकास आदि के कार्यों के रूप में जनता में बांट देंगे। अगर ये जुमला नहीं है तो ये स्वागत योग्य कदम है और अगर ये जुमला है तो सुन के खुश होने में क्या जाता है?
प्रधानमंत्री ने कहा कि कालाधन अब गोरा नहीं करने दिया जाएगा, भ्रष्टाचार के नकुना में नथेल कसी जाएगी।
ईमानदारी के यज्ञ में बेईमानी की समिधा पर भक्त जन यज्ञ कर उनकी पवित्र मंशा को पूरा करने के लिए सहयोग दें। यह राष्ट्रीय अपील है।
बिना पैसे के कारोबार जनता कैसे चलाए इस विषय पर विद्वानों से उन्होंने अपील की है कि जनता को डिजिटल ज्ञान सिखाएँ। जियो का सिम किस लिए लांच किया गया है।
गन्ना किसानों के खाते में सीधे पैसा दिया जाएगा जिससे उनके कर्ज़ की चुकाई बिना दलाली के हो जाए। योजना तो ठीक ही है, अगर ये खाली योजना ही न रहे तो।
प्रधानमंत्री ने पूरब को एम्स देकर काम ठीक किया है लेकिन जब ये बनकर तैयार हो तो "नेता पहले जनता बाद में" वाली व्यवस्था न रहे तब।
उन्होंने बताया कि किसानों को लिए सॉयल कार्ड बनाया है। ताकि उनकी जमीन का परीक्षण किया जा सके और उसके हिसाब से किसानी की जाए। ये काम अच्छा है इसके लिए उनका धन्यवाद।
फसलों की रक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सरकार लेकर आई है अगर इससे जनता को लाभ मिलता है तो ये सरकार का साराहनीय काम है।
 प्रधानमंत्री की यूपी में ये तीसरी रैली है. आगरा और गाज़ीपुर में परिवर्तन यात्रा हो चुकी है। देखते हैं वहां क्या परिवर्तन आएंगे।
प्रधानमंत्री पहली एयर कंडिशन्ड हमसफ़र ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई जो गोरखपुर से दिल्ली तक चलेगी, इस ट्रेन का टिकट जिन यात्रियों को मिल जाएगा उन्हें भाग्यशाली समझा जाएगा।
और चलते -चलते
गोस्वामी जी की एक बात सभी पत्रकारों को याद कर लेनी चाहिए कि-
"सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास॥"
तो सच बोलिए , देशभक्ति तो तभी हो सकती है जब देश के भलाई के लिए सत्ता को विवश करते रहें । सरकार का काम ही है जनता के लिए अच्छी योजनाएं बनाना, उन्हें लागू कराना। लेकिन जब आपको लगे कि कुछ ठीक नहीं हो रहा है तो कलम चलाइए, सच कहिए नहीं तो सत्ता को निरंकुश होते वक्त नहीं लगता।

सोमवार, 14 नवंबर 2016

तुम अलग युग की कहानी

तुम अलग युग की कहानी
हम अलग युग की कथा हैं,
व्यक्त जिनको कर न पाए
मूकवत मन की व्यथा हैं ।।
तुम किसी मरुभूमि में से
मेघ का संधान हो क्या?
साधना की ही नहीं पर
ईश का वरदान हो क्या??
- अभिषेक

बुधवार, 9 नवंबर 2016

पापा! मुझे सब पढ़ेंगे।

पापा! मेरे नम्बर भले ही इस बार कम आए  हों लेकिन मुझे एक दिन मेरे सारे टीचर्स पढ़ेंगे। हरिराम आचार्य जी ने इस लेटर में जो मेरी शिकायत लिखी है न एक दिन मेरी बड़ाई करेंगे, तब मैं उन्हें बिलकुल भी भाव नहीं दूंगा।
पापा हमेशा की तरह मेरी बात पर मुस्कुराते हुए  आगे बढ़ जाते।
मुझे कभी नम्बर की वजह से डांट नहीं पड़ी। भइया थोड़े परेशान हो जाते थे इस बात पर। उन्हें लगता कहीं मैं औरों से कमजोर न पड़ जाऊँ।
ख़ैर थोड़ा बड़ा हुआ तो सब ठीक हो गया। पढ़ने वाले विषयों को कंठस्थ कर लेता। सारे विषयों के सैद्धांतिक पक्ष कंठस्थ रहते तो सहपाठियों को लगता बहुत पढ़ाकू हूं।मैं भी भरपूर ज्ञान बांटने में कोई विलंब नहीं करता, सबको शिक्षा बांटता।
ख़ैर मुझे पता था कि मुझे कुछ नहीं पता है।
बचपन में हरिराम आचार्य जी पता नहीं क्यों महीने में दो चार बार शिकायती पत्र लिख कर पापा के नाम भेज देते और मुझसे कहते हस्ताक्षर करा के लाओ। वो सोचते घर पे कुटाई होगी मेरी पर उनकी मंशा पर घर वाले पानी फेर देते।पढ़ाई को लेकर कभी कूटा नहीं गया।
स्कूल से ज़्यादा भइया ने मुझे पढ़ाया। गणित को छोड़कर सारे विषय मेरे ठीक-ठाक थे, भइया ने बेइज्जती न होने भर का गणित सिखा दिया था, जब कॅापी चेक होती तो पिटाई से बच जाता, बहुत दिनों तक इतना ही रिश्ता रहा मेरा गणित से।ग्यारहवीं में तो मैंने तलाक ही ले लिया गणित से। फिर कानून की पढ़ाई और अब पत्रकारिता की।
यकीन ही नहीं होता इन लम्हों को गुजरे हुए एक वक्त बीत गया।
मेरा साहित्य अब किशोर हो रहा है। टूटा-फूटा ही सही पर लिखते हुए एक दशक से ज्यादा हो गया। लिखना आज भी नहीं आया।
आज मैंने पुरानी डायरियों को खोज निकाला। एक अटैची में सुरक्षित रखी हुईं मिलीं। बचपन आंखों के सामने तैरता हुआ नज़र आया। बीते कल को महसूस किया।
तब भाषाई अशु्द्धियां अधिक थीं पर  भावनाएं निश्छल थीं। कृत्रिम व्याकरण का आवरण तब नहीं ओढ़ा था रचनाओं नें।
कितने ख़ूबसूरत दिन थे न? नहीं! मेरा आज भी बहुत खूबसूरत है।
मामा कहते हैं जिस पल में हम जीते हैं वही हमारे जीवन का सबसे सुनहरा पल होता है। जो बीत रहा है वो कभी नहीं आएगा।
इतने दिनों में अब तक अपना वादा नहीं पूरा कर पाया। पता नहीं मेरा कुछ लिखा हुआ मेरे गुरुजनों ने पढ़ा होगा या नहीं, ये भी नहीं पता कि मेरा वादा पापा को याद है या नहीं, पर लिखना थमा नहीं है। मुझे कितना वक्त लगेगा पापा से किया गया वादा पूरा करने में, नहीं जानता लेकिन जाने क्यों उन बातों के याद आने भर से ही मेरे हाथ कलम की ओर बढ़ जाते हैं और फिर मैं लिखने बैठ जाता हूँ कुछ कहे-अनकहे शब्द....उसी एक वादे के लिए।।

गुरुवार, 3 नवंबर 2016

वो सच नहीं है।

मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी। हमेशा फोन मैं करती हूँ आप भूल कर भी कभी कॅाल नहीं करते हो। हर बार बिज़ी होने का बहाना होता है, हर बार मैं पूछती भी हूँ बिज़ी हो? आपका फिर वही रटा-रटाया जवाब नहीं! तुम्हारे लिए नहीं। 
आप सच में मुझे कभी याद करते हैं? कुछ वजूद है मेरा आपके लाइफ में?
अब तो हद हो गई। पिछले दस दिनों से आपने बात नहीं की। न फेसबुक न व्हाट्सप न स्टीकर्स, क्या हुआ है आपको? 
कोई और है क्या आपकी ज़िन्दगी में? 

मुझसे मन भर गया? क्यों खेल रहे हो मेरे जज्बातों के साथ? ख़त्म क्यों नहीं कर देते सब कुछ?
ख़ैर! इस रिलेशनशिप में तो मैं हमेशा अकेली ही थी, कभी आपकी साइड से कुछ था ही नहीं। प्यार नहीं! दोस्ती या कुछ दोस्ती से ज़्यादा? 

सुनो मैं बहुत प्यार करती हूँ आपसे।कोई हो आपकी लाइफ में तो प्लीज़ बता देना मैं भूलकर भी याद नहीं करुंगी आपको। वैसे भी मेरे पास खुद के लिए वक्त कम है। मेरी शादी हो ही जाएगी कुछ दिनों में। कोई अजनबी ज़िंदगी भर के लिए मेरी किस्मत में मढ़ दिया जाएगा।जबरदस्ती का रिश्ता निभाना है मुझे उम्र भर के लिए। किसी ब्लैक एंड व्हाइट सेट के साथ मुझे ढकेल दिया जाएगा किसी कोने में हमेशा के लिए। मेरी सारी डिग्रियां मेरी ही तरह सड़ेंगी किसी कोने में। 

आप तब तक फेमस हो जाओगे। टीवी पर भी आप दिखोगे पर मैं चैनल बदल दूंगी।आपको कभी पलट कर नहीं देखूंगी। आपकी किताबें कभी नहीं पढ़ूगीं।अख़बारों में भी आपके आर्टिकल्स नहीं पढ़ूंगी। आपको सब चाहते हैं पर मेरे साथ ऐसा नहीं है, बहुत अकेली हूं मैं।आपसे बात करना चाहती हूँ पर आप बात तक नहीं करते।

आप मेरे साथ ऐसा करते हैं या सबके साथ?
लाइब्रेरी, क्लास, पढ़ने और लिखने के अलावा कुछ करते हैं आप?

कभी तो फ्री होते होंगे तब मुझसे बात क्यों नहीं करते? आई लव यू हद से ज्यादा। सॅारी आज मैंने आपको कुछ ज्यादा सुना दिया। मैं बहुत बुरी हूं हर बार आपको परेशान करती हूँ पर अब नहीं करूंगी। गुड बॅाय!
क्या हुआ? सॅारी यार! नेटवर्क नहीं है यहाँ। और अब तुम मेरे रिसेंट कॅाल लिस्ट में नहीं हो। मैंने सेट फार्मेट किया था तुम्हारा नंबर मिट गया। कहीं और नोट भी नहीं है।

तुम ऐसे क्यों कह रही हो? मैं ऐसा ही तो हूं।मुझे मां से बात किये हुए कई दिन बीत जाते हैं। मेरे सारे दोस्त मुझसे इसी वजह से नाराज ही रहते हैं। मैं किसी से बात नहीं करता।शायद फोन पे बात करना अच्छा नहीं लगता मुझे।

तुम कभी-कभी अजीब सी बातें क्यों करती हो? तुम सेल्फ डिपेन्डेंट हो, अच्छी सैलरी मिलती है। बालिग़ हो तो तुम क्यों किसी के साथ जबरदस्ती ब्याही जाओगी। मना कर देना सबको जब तक तुम्हारे पसंद का लड़का तुम्हें न मिले।

पसंद की तो बात मत करो आप।पसंद तो सिर्फ आप हो मुझे , मुझसे शादी करोगे?

यार प्लीज़! कोई और बात करें? जानती हो मैंने एक नयी कविता लिखी है सुनोगी?

रहने दो, ज़िन्दगी कविता हो गयी है अब कविताओं से चिढ़ होती है। कभी तो सीधा जवाब दे दिया करो..सॅारी यार! मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं रह सकता, मैं खुद के भी साथ नहीं हूं, किसी अनजान से रास्ते की ओर कदम बढ़ते चले जा रहे हैं। वक्त धीरे-धीरे मुझे मुझसे दूर करता जा रहा है। ऐसे में मैं तुम्हें कोई उम्मीद नहीं दे सकता।

किसने कहा मुझे आपसे कोई उम्मीद है? अब इतना तो आपको समझ ही चुकी हूं। 
एक्चुअली जानते हैं आपकी प्रॅाब्लम क्या है?

आप न कभी किसी रिलेशनशिप को हां सिर्फ इसलिए नहीं करते क्योंकि आपके साथ जो गुड ब्वाय वाला टैग लगा है न उसे खोने से डरते हैं। तभी शायद आपकी कोई गर्लफ्रैंड कभी थी नहीं न होगी,
बहुत मुश्किल से खुद को सम्हालती हूं । कोई इमोशन नाम की चीज़ है आपके दिल में?

ऐसा कुछ नहीं है....

बॅाय! अब मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।
सुनो!
कहो!
जो तुम कह रही हो वो सच नहीं है।
तो सच क्या है?

कुछ नहीं। 'ब्रम्ह सत्यम् जगत मिथ्या'। 
बॅाय! अलविदा। 

रुको!
नहीं अब कोई फायदा नहीं है......

कॅाल डिस्कनेक्टेड....
कॅाल रिजेक्टेड....काश! मुझे आज सुन लेती....कुछ बताना था..लेकिन क्या बताना था....मुझे क्या पता...तब की तब देखते।


- अभिषेक शुक्ल