बुधवार, 23 मार्च 2016

होली है


कितना भी तुम छिप लो राधा
तुम्हे रंगने आऊंगा
बरसाने से वृन्दावन तक तुमको
मैं दौड़ाऊँगा,
चाहे तुम कितना भी छिप लो रंग बिरंगी गलियों में
तुमको अपने प्रीत के रंग में भीतर तक रंग जाऊंगा।।
तुमसे न डरती हूँ कान्हा! तुम न मुझे
रँग पाओगे,
अपने रँग दिखा दूँ तुमको तो मुझसे
डर जाओगे,
चढ़ा हुआ है रँग प्यार का मेरे तो
मन मंदिर में
रँग-बिरंगी राधा को तुम कहाँ भला
रँग पाओगे??
- आप सबको अभिषेक की ओर से होली की बहुत-बहुत बधाई

गुरुवार, 17 मार्च 2016

बरस रहा है यूँ प्यार तेरा...

बरस रहा है यूँ प्यार तेरा कि जैसे आँखों में उमड़ा बादल
तरस रही हैं मेरी निगाहें तेरी ही ख़ातिर हुआ मैं पागल,
दीवाना तेरा हुआ हूँ जब से नहीं लगे मन किसी जगह पे
जो दिन ढले तो तू याद आये जो शाम हो तो तेरी वो पायल
कि जिसकी छन-छन में डूबा तन-मन
कि जिसकी आहट से नींद टूटे,
कहां है गुम-सुम वो प्यार तेरा किया था जिसने जिया को कायल
बहकते क़दमों ज़रा तो ठहरो हुआ है ख़्वाबों से इश्क़ मुझको,
न पीछे पड़ना, न संग चलना, न राह तकना न होना घायल।।

-अभिषेक शुक्ल