शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

प्रेम इक अनसुलझी गुत्थी है

शब्दों ने अपने अर्थ
 खो दिए हैं
अब न तुम
अपने मन की कह पाती हो
न मैं
तुम्हारी भावनाएं समझ पाता हूं
क्योंकि
 दुनिया के किसी व्याकरण में
इतना सामर्थ्य नहीं
कि
सुलझा दे
हमारे नासमझी के द्वंद्व को.
अब न तुम कहो
न मुझे कुछ कहने दो
हमारे बीच
जो है
 उसे भ्रम कहते हैं
न तुम मुझे समझो
न मैं तुम्हें समझूं
शब्द, शब्द नहीं
भ्रम हैं.

#अधिकतम_मैं

शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

मधुशाला में लॉक लगाओ भरो क्षीर से तुम प्याला




                                           मधुशाला में लॉक लगाओ भरो क्षीर से तुम प्याला
                                           औ उसमें हॉर्लिक्स मिलाकर पीते रहो जैसे हाला।
                                           बल बुद्धि विद्या तीनों बढ़ेंगी पर ये याद सदा रखना
                                          भारत माता की जय बोलो खुलवाओ तुम गौशाला।।


( सपने में बच्चन जी आए थे ये कहने कि दोस्त, मैंने मधुशाला लिखी है और तुमसे गौशाला भी लिखी नहीं जा रही...यहमा हमार कवनो दोष नाहीं है..सब बच्चन जी कहिन है सपना मा, औ हां! इ कप हमार नाहीं है)