शनिवार, 16 जुलाई 2016

मन बावला है।।



मन बावला है, मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है।।
मुझको ख़बर है कि
ख़्वाहिश हुई है
कुछ तो मोहब्बत सी
साज़िश हुई है
कोई है गुम-सुम
ख़्यालों मे ख़ुद के
लगता है चाहत की
बारिश हुई है...
मन बावला है,मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है।।
उसने कहा कुछ
मैंने सुना कुछ
सपने मे उसने
शायद बुना कुछ
फिर भी है गुम-सुम
ख़ुद में ही खोई
मिल के भी मुझसे
क्यों न कहा कुछ??
मन बावला है,मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है।।
अब तो मोहब्बत का
इज़हार कर दो
हो न मोहब्बत तो
इंकार कर दो
सब कुछ पता है
मासूम दिल को
ख़ुद को भी चाहत की
कुछ तो ख़बर दो।।
मन बावला है,मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है।।
-अभिषेक शुक्ल

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-07-2016) को "सच्ची समाजसेवा" (चर्चा अंक-2407) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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