बिछुड़ रहा पल धीरे-धीरे समय
हो रहा मतवाला
काना-फूसि करता मुझसे खोज रहा है ये
प्याला,
कैसे हो ये जग फिर सुरभित मदिरा-मय में
विस्मृत सब
नव संवत्सर के स्वागत को इच्छुक
फिर से मधुशाला।
हो रहा मतवाला
काना-फूसि करता मुझसे खोज रहा है ये
प्याला,
कैसे हो ये जग फिर सुरभित मदिरा-मय में
विस्मृत सब
नव संवत्सर के स्वागत को इच्छुक
फिर से मधुशाला।
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंनवर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर..शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंSunder rachna...Nav varsh mangalmay ho...badhayi
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