वंदे मातरम्
जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
सोमवार, 4 अगस्त 2014
कुदरत
कुदरत ने मुस्कराने के मौके बहुत दिये हैँ,
जाने क्योँ मुस्कराहट मुझसे खफ़ा-खफ़ा है...
3 टिप्पणियां:
Kailash Sharma
5 अगस्त 2014 को 2:09 am बजे
बहुत खूब...
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Unknown
5 अगस्त 2014 को 4:10 am बजे
उत्कृष्ट
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संजय भास्कर
8 सितंबर 2014 को 1:35 am बजे
बिलकुल सच
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