बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

........अभिमान ........

कदम कदम पे खतरा है ,
खतरों से खेलना ,
शत्रु के प्रहार को ,
वीरता से झेलना ,

क्या करेंगी युद्ध में ,
प्रेम की ये नीतियाँ ,
हर कदम पे रोकती हैं ,
देश की कुरीतियाँ ,

शत्रु से सजग रहो ,
देश का मान रख ,
प्रण करो विजय का ,
हाथ में जान रख ,

हार न हो कभी ,
वीरता का ध्यान धर ,
रक्त हीन विश्वा में ,
तू नवीन प्राण भर ,

अन्धकार युक्त जग है ,
सूर्य बन प्रकाश दे ,
ज्योत्स्ना हो जगत में ,
एक सुखद आभास
दे ,

जीवन की विषमता को ,हस कर स्वीकार कर,
चेतना का तुरंग बन
एक नया उपकार कर ,


"क्रांति एक स्वप्न है , स्वप्न को साकार कर ,
स्वयं को हे जीत ले
अहम् का संहार कर ...."

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