" ये धुंधली सी तस्वीरें ,
जब भी याद आती
हैं ,
दिल में एक अजीब
ख्वाहिश ,
जाने क्यों तीस
भारती है ."
वो यादों के जो मेले थे ,
जिनमें हम अकेले
थे ,
वो हलकी सबनमी
बारिश ,
जिनमें पत्थर को झेले थे ,
वो बेचैन से
रस्ते ,
वो खुशनुमा मंज़र ,
नज़रें टिकी जब
उन पर ,
जैसे कुछ हुआ
अन्दर ,
जिन्हें हम खोजते हर
पल ,
देखा था उन्हें ही
कल ,
पहचाना नहीं मुझको ,
कहा कि बस चला
चल ,
जरुरत है नहीं उनकी ,
मुझे हर पल कोई
मिलता ,
चलने ki आदत है ,
बदलते हर पल नया रास्ता ...........
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