भड़भाड़ जानते हैं? मुझे इसका नाम हिंदी या अंग्रेजी में नहीं पता है. खोजने का मन भी नहीं है. अद्भुत फूल है यह. अम्मा या मम्मी से सुना है कि पहले जो लोग मिट्टी का तेल नहीं खरीद पाते थे उनके लिए यह उजाले का साधन था.
भड़भाड़ में फूल के अलावा फल भी लगता है. इसका फल देखने में बहुत सुंदर होता है. पौधा जब परिपक्व हो जाता है तब फल आने शुरू होते हैं. जब फल पक जाता है तब उसमें दरारें पड़ जाती हैं. फल के भीतर के कोष में चायपत्ती की आकार के दाने होते हैं.
संरचना भी चायपत्ती के दानों की तरह. अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है. पहले मुझे लगता था कि यही चायपत्ती है.
भड़भाड़ के दानों को अगर महीन पीसा जाए तो इनसे तेल निकलता है. पहले लोग इसे इकट्ठा करते थे और तेल निकालते थे. खाने के लिए नहीं बल्कि दीया जलाने के लिए. कभी बहुत उपयोगी रहा भड़भाड़ अब खर-पतवार की तरह है.
कांटेदार पौधा होता है इसलिए लोग इसे पनपने नहीं देते हैं. कुछ औषधीय गुण भी होते हैं इस पौधे में. अगर आंख उठी हो (कंजक्टिवाइटिस) तो इसका दूध बहुत लाभदायक होता है. जड़ों का इस्तेमाल भी प्राकृतिक पद्धति में चिकित्सक करते हैं.
तमाम गुणों के बाद भी यह पौधा उपेक्षित है. हेय है. इंसानों की सारी प्रत्याशाएं ईश्वर भी पूरा नहीं कर पाता तो यह तो अंकिचन पौधा ठहरा. कोई बच्चा अगर बहुत बिगड़ जाए तो उसके लिए अवधी में एक कहावत कही गई है. मारे दुलारे भड़भाड़े कै बुकवा. बुकवा का अर्थ लेप होता है. शुद्ध हिंदी में इसे आलेप कहते हैं.
बिगड़े हुए बच्चों के संरक्षकों पर सारा दोष मढ़ा जाता है. लोग कहते हैं कि अभिभावकों के दुलार ने उन्हें बिगाड़ के रख दिया है. हिंदी में इस अवस्था के लिए कोई कहावत याद आती है? मुझे पता नहीं है कि किसी ने इसके लिए कुछ भी लिखा है. अवधी में बच्चों की इस स्थिति पर कई कहावतें कही गई हैं. अवधी में कहते हैं, 'मारे दुलारे भड़भाड़े कै बुकवा.'
अर्थ है कि दुलार में किसी को भड़भाड़ का लेप लगाना. अयाचित दुलार से लाभ हो न हो, नुकसान बहुत होता है. भड़भाड़ के लेप में कांटे हो सकते हैं, इससे कुछ फायदा नहीं हो सकता है. गड़ सकता है, चुभ सकता है. अधिकांश मामलों में माता-पिता भड़भाड़ का बुकवा नहीं लगाते, बच्चे खुद ही लगा लेते हैं अपने भविष्य पर. नुकसान होता है, इतना कि उसकी भरपाई न हो सके. जानबूझकर कांटो का लेप मूर्ख ही लगाते हैं. बचना चाहिए, मूर्ख बनने से.
...आखिर मूर्खता का क्या प्रयोजन?
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 23 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
आर्जिनोमोरा..
जवाब देंहटाएंइसके बीज़ों का तेल
सालों पहले सरसों के तेल में
मिलाकर बेचते थे ल़ोग
पकड़ मे आज तो छोड़ दिए
सादर..
बेहद दिलचस्प ! मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक जानकारी दी है आपने।पहली बार पढ़ा और सुना इस विचित्र नाम वाले फूल के बारे में।अत्यंत आभार इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए।
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