वेदना का अंत बहुत सुखद होता है। प्रायः, हर बार नहीं।
सुख मूल्य वसूलता है। कुछ का जीवन कइयों की मृत्यु की परिणति है।
हर दुख की वैतरणी को पार करने के लिए कोई न कोई ऐसी नाव मिल जाती है जो अंततः सुख के तट तक पहुंचा ही देती है।
कुछ दुखों का कोई उपचार नहीं, कुछ घटनाओं का भी। किसी कहानी के कुछ पत्रों की अपूर्ण गति यह कभी नहीं दर्शाती कि उनके साथ कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटित हुआ।
सब स्वाभाविक है, सबका अपना-अपना प्रारब्ध है। सब किसी अंतहीन यात्रा की ओर आगे बढ़ रहे हैं शनैः शनैः।
हर बलदेव विवश है, हर कालीचरण जूझ रहा है। हर तहसीलदार भीतर से टूट रहा है, कुछ बन रहा है, कुछ बिगड़ रहा है।
बेतार अपना काम जारी रखे हुए है। हर कमली कुछ समय तक अभिशप्त है, मौसी की ममता हर जगह वेदना पा रही है। स्वजनों की व्याधि उसे डायन बना रही है। कोई कहीं छिपा बैठा है लाठी लेकर प्राण हतने हेतु।
प्रेम में सब कुछ पा लेना ही प्रेम नहीं, कुछ खो देना ही प्रेम नहीं...जूझते रहना ही प्रेम है।
दिन बहुरते हैं, जब तक न बहुरें प्रतीक्षा करने में नुकसान कुछ भी नहीं है।
'कहानी मैला आंचल की.'
नोट: तस्वीर, आत्ममुग्धता के चलते चिपकाई गई है।
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