सोमवार, 14 नवंबर 2016

तुम अलग युग की कहानी

तुम अलग युग की कहानी
हम अलग युग की कथा हैं,
व्यक्त जिनको कर न पाए
मूकवत मन की व्यथा हैं ।।
तुम किसी मरुभूमि में से
मेघ का संधान हो क्या?
साधना की ही नहीं पर
ईश का वरदान हो क्या??
- अभिषेक

3 टिप्‍पणियां:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 15/11/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  2. बहुत खूब ...
    हम कथा तुम कहानी हो
    प्रेम की बात आनी जानी हो

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