बुधवार, 29 अप्रैल 2015

बस यूँ ही :)

किसी की आँख में काजल
किसी की आँख है काजल
किसी के जुल्फ में  बादल
किसी की ज़ुल्फ़ है बादल
किसी के रुह में मैं हूँ
किसी का रुह हूँ अब मैं
दीवाने दिल की साजिश ने
किया मुझको बहुत पागल।।

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भई वाह। बहुत खूब। सुंदर और भावपूर्णं रचना।

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  2. आप तो ऐसे बिलकुल न थे !
    समझ रहे हैं की क्यों शायराना हो रहे हो !


    सुन्दर लिखा है !

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    1. हा हा हा।
      भाई प्रेम नहीं हुआ है...आपका इशारा समझ रहा हूँ।

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  3. बढ़िया है ये शायराना अंदाज भी अभिषेक जी। :)

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  4. किसी की आँख में काजल
    किसी की आँख है काजल
    अतीव सुन्दर, उत्तम

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