जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
बुधवार, 29 अप्रैल 2015
बस यूँ ही :)
किसी की आँख में काजल
किसी की आँख है काजल
किसी के जुल्फ में बादल
किसी की ज़ुल्फ़ है बादल
किसी के रुह में मैं हूँ
किसी का रुह हूँ अब मैं
दीवाने दिल की साजिश ने
किया मुझको बहुत पागल।।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंवाह भई वाह। बहुत खूब। सुंदर और भावपूर्णं रचना।
जवाब देंहटाएंआप तो ऐसे बिलकुल न थे !
जवाब देंहटाएंसमझ रहे हैं की क्यों शायराना हो रहे हो !
सुन्दर लिखा है !
हा हा हा।
हटाएंभाई प्रेम नहीं हुआ है...आपका इशारा समझ रहा हूँ।
बढ़िया है ये शायराना अंदाज भी अभिषेक जी। :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंसुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख में काजल
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख है काजल
अतीव सुन्दर, उत्तम