रविवार, 29 मार्च 2015

कवी! तू याद किसे करता है?


जब-जब ये आँखें खुलतीं हैं
किरणों से नज़रें मिलती हैं,
दिल हौले से ये कहता है
कवि! तू याद किसे करता है?

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (31-03-2015) को "क्या औचित्य है ऐसे सम्मानों का ?" {चर्चा अंक-1934} पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आभार सर!
      मेरे सामान्य से मुक्तक को अपने इस योग्य समझा।

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