रात होती तो ये लगता,
नया होगा कुछ सवेरे ,
कर्म की प्रतिबद्धता में
भाग्य लेगा पुनः फेरे,
यह सुहानी रात तो,
हृदय तक आलस्य लाये
बंद कर पलकें हमारी,
नित नए सपने दिखाए,
बंद आँखों से धरा की,
जो गहन अनुभूति होती,
विधाता के राग-लाया में ,
मानव की नेति-नेति,
वह विहंगम दृश्य नभ का,
निष्प्राण में भी प्राण लाये,
और बिन एक शब्द बोले,
शब्द अंतस तक समाये,
नमन है उस शक्ति को,
जिसने धरा पर प्राण फूकें,
जिनके अहैतुक कृपा से,
धरा निज उद्द्यान सींचे.
नया होगा कुछ सवेरे ,
कर्म की प्रतिबद्धता में
भाग्य लेगा पुनः फेरे,
यह सुहानी रात तो,
हृदय तक आलस्य लाये
बंद कर पलकें हमारी,
नित नए सपने दिखाए,
बंद आँखों से धरा की,
जो गहन अनुभूति होती,
विधाता के राग-लाया में ,
मानव की नेति-नेति,
वह विहंगम दृश्य नभ का,
निष्प्राण में भी प्राण लाये,
और बिन एक शब्द बोले,
शब्द अंतस तक समाये,
नमन है उस शक्ति को,
जिसने धरा पर प्राण फूकें,
जिनके अहैतुक कृपा से,
धरा निज उद्द्यान सींचे.
. .बेहतरीन अभिव्यक्ति . आभार आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .आप भी पूछें कैसे करेंगे अनुच्छेद 370 को रद्द ज़रा ये भी बता दें शाहनवाज़ हुसैन .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार..
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