कौन किसी के पास है, कौन किसी से दूर
किससे नाता नेह का, कौन यहां मजबूर?
किसका बंधन झूठ है, किसका बंधन सांच
कौन मोह में तप रहा, किसका नाता कांच?
कौन यहां मजदूर है, कौन यहां मलिकार
कौन बिराजे राजघर, कौन सहे फटकार?
मन बस निज से दूर है, मन बस निज के पास
मन से नाता नेह का, मन ही सबका खास।
मन का बंधन झूठ है, मन का बंधन सांच,
मनवा मन में तप रहा, मन का नाता कांच।
मन जग में मजदूर है, मन ही है मलिकार,
मनहि बिराजे राजघर, मन ही सहे फटकार।।
मन में लाखों झोल हैं, मन कितना अनजान,
मन में बइठा चोर है, मन बड़का बइमान।।
- अभिषेक शुक्ल