कठिन समय ने चाल चली है
उपहासों में हार पली है,
डगमग डगमग कदम पड़ रहे
तन की हाहाकार खली है।
जूए में हर दांव हार कर
उनकी लाखों बात मानकर,
चौसर के सब पासे पलटे
धोखे वाली बात जानकर।
फिर भी दिल मुझसे कहता है
सारी बाज़ी मैं जीतूंगा,
जिस नक्षत्र में जय ही जय हो
उसमें ठहर ठहर बीतूंगा।।
- अभिषेक शुक्ल
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