वक़्त बीतेगा मगर मैं नहीं जाने वाला
अपने साए को अलग छोड़ भुलाने वाला,
लोग आते हैं मुझे छू के चले जाते हैं
है नहीं कोई मेरा साथ निभाने वाला,
क्या हुआ उम्र भर साए में खड़ा था ख़ुद के
मैं नहीं अपने किसी ग़म को जताने वाला,
वक़्त-दर-वक़्त ख़ुद से प्यार मेरा बढ़ता है
मैं न आंसू को कभी आंख में लाने वाला,
मैं तो भटका हूं मुझे राह दिखा दे साथी ।
आ मेरे साथ मुझे चलना सिखा दे साथी।।
-अभिषेक
हमेशा की तरह एक और बेहतरीन लेख ..... ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ..... शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
जवाब देंहटाएंसाए ही हमसफ़र हिते हैं ... जो सब सिखा जाते हैं ...
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