गुरुवार, 10 जनवरी 2013

गुमनाम

कितना अँधेरा है यहाँ ,
      राह चलते चेहरे गुम 
हो जाते हैं, 
 साथ चलने वाले 
 कब राह बदल दें ,
कुछ पता ही नहीं चलता ,
अँधेरा और बढ़ता जाता है, 
गुमनामी शुरू होती 
जाती है,
किसे अपना कहें , 
अपनी परछाईं साथ नहीं देती 
लोग तो फिर भी लोग हैं ...

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