कितना अँधेरा है यहाँ ,
राह चलते चेहरे गुम
हो जाते हैं,
साथ चलने वाले
कब राह बदल दें ,
कुछ पता ही नहीं चलता ,
अँधेरा और बढ़ता जाता है,
गुमनामी शुरू होती
जाती है,
किसे अपना कहें ,
अपनी परछाईं साथ नहीं देती
लोग तो फिर भी लोग हैं ...
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