कोई छह-सात वर्ष हो
गए थे झूला झूले हुए. बारहवीं पास करने के बाद जो त्योहार छूटे, सावन में भी उनमें
से एक था. मुझे सावन त्यौहार ही लगता है.
महीने भर का त्यौहार. कजरी, आल्हा और गीतों का महीना.
जिधर से गुज़रो कहीं
न कहीं से किसी की खनकती आवाज़ में कोई गीत कानों तक पहुंच ही जाता था. कोई पेशेवर
गायिका कितने भी दिन सरस्वती की आराधना क्यों न करे, गांव की पड़राही भौजी की राग
मिलने से रही. उनकी कजरी सीधे दिल से निकलती थी दिल में उतरती थी. भीतर तक.
हरे राम कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लिए सारी रे हारी
सिर धरे डलरिया भारी हरे रामा करतै गलिन में पुकारी कोई पहिननवारी रे हारी.
हरे राम कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लिए सारी रे हारी
सिर धरे डलरिया भारी हरे रामा करतै गलिन में पुकारी कोई पहिननवारी रे हारी.
स्वर कभी सीखा नहीं
जाता. गीत विद्या नहीं है, कला है. कला कोई सिखा नहीं सकता. कोई भी नहीं. कोई गुरु
नहीं. कला का शिष्यत्व से चिरंतन बैर है. वाल्मीकि को किसी ने पहला छंद रचना नहीं सिखाया होगा. न ही किसी ने
उन्हें मात्रा गणना का बोध कराया होगा. उन्होंने सीख लिया होगा. वैसे तो कहा जाता
है कि वेद अपौरुषेय हैं लेकिन उन्हें जिसने भी मूल रूप में दुनिया को कुछ बताया होगा
वहा कलाकार ही रहा होगा.
ठसक लिए कोई देहाती
महिला अथवा पुरुष. कोई ज्ञानी ब्राह्मण नहीं. ज्ञानी व्यक्ति तो कला को मारकर
ज्ञानी बनता है.
गांव की गायिका को
रियाज़ की ज़रूरत नहीं पड़ती. जब मन किया गा लिया. ऐसा संगीत जहां वाद्य यंत्र
नगण्य हो जाते हैं. स्वर ही ढोलक की थाप होते हैं, पायलों की छनछन ही झांझ. फिर
कौन न सासें रोक गीत सुनने बैठ जाए.
दिन में झूला झूल लिया. रात में अम्मा(दादी) से कजरी सुन ली. मेरा तो सावन सार्थक हो गया. धीमी-धीमी बारिश हो रही है. झींगुर टर्र-टर्र कर रहे हैं. मेंढकों ने भी तान छेड़ दिया है. ऐसे में मच्छर कहां पीछे छूटने वाले. उनका भी गायन चालू है. मच्छरों से थोड़ी अनबन है, पर अपने हैं. काट रहे हैं पर पेट भरने के लिए.
वीडियो मेरे ननिहाल
का है. बरगद पर झूला पड़ा है. साथ में वीरू भइया हैं, अंकित है और जो बचा है उस बच्चे का नाम नहीं पता.
झूमिए....क्योंकि
सावन है.
- अभिषेक शुक्ल
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-08-2018) को "त्यौहारों में छिपे सन्देश" (चर्चा अंक-3063) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हरियाली तीज की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'