मंगलवार, 7 जुलाई 2015

गुज़ारिश

बहुत कुछ कहना चाहूँ पर
कहा कुछ भी नहीं जाए,
रब से ये गुज़ारिश है हलक के
पार कुछ आए
यूँ गुमसुम सा रहूँ कब तक
बता दे तू मेरे मौला!
कहीं तेरे बेरुख़ी से दिल
बेचारा हार न जाए।।

6 टिप्‍पणियां:

  1. ye dil shaayrana shaayrana , shaayrana lagta hai.............Believe on Yourself nahi haroge Abhishek Bhai

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हा हा हा!
      भाई!
      शायराना मौसम है आज-कल तो सोचा देशभक्ति से इतर भी कुछ लिख लूँ. :)

      हटाएं
  2. यूँ गुमसुम सा रहूँ कब तक
    बता दे तू मेरे मौला!
    कहीं तेरे बेरुख़ी से दिल
    बेचारा हार न जाए।।
    ​​बढ़िया मित्रवर

    जवाब देंहटाएं