सोमवार, 27 जुलाई 2015

लौट आओ लाल (माँ भारती पुकार रही है)


इतनी जल्दी नहीं जाना था सर आपको, सुरक्षित नहीं है आज भी भारत....आपकी जरुरत थी इस देश को...आपके अनुभव और मार्गदर्शन में भारत अभी और ऊँचाई छूता...नए कीर्तिमान स्थापित करता....आप चले गए तो डर लग रहा है..आपकी कमी हमेशा खलेगी क्योंकि राष्ट्र को जीवन समर्पित करने वाले लोग अब गिनती के बचे हैं....एक और सितारा कम हो गया...एक युग समाप्त हो गया....आपके छोटे-छोटे वक्तव्य हमारे बड़े-बड़े सपनों की नींव हैं..धर्म और जातियों में विभाजित भारतीय जनता को सबसे पहले आपने ही कहा कि इंसान बन जाओ पहले...बाद में हिन्दू या मुसलमान होना...एक सच्चे राष्ट्रभक्त नहीं रहे..एक और सितारा टूटा...एक और सपूत सो गया...एक महान व्यक्तित्त्व अब नहीं रहा....सर! आप देशभक्त हैं न? ईश्वर से कह कर एक बार फिर से आना भारत में...अपने इसी रूप में.....हम भारतीय हमेशा आपके आभारी रहेंगे...लौट आइये सर!
आपकी मिट्टी आपको बुला रही है...देश आपके पुनर्जन्म की प्रतीक्षा में है...माँ भारती आपको बुला रही है।

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