सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

चाहता हूँ आज तुमसे हार ख़ुद से जीत जाऊँ

चाहता हूँ आज तुमसे हार ख़ुद से जीत जाऊँ
मन कहे इक गीत गाऊँ।

जो तुम्हारे प्यार में हर पल नया संगीत ढूंढे
चल सके हर पल परस्पर साथ वो मनमीत ढूंढे,
रोज तन्हाई में खुद के संग तेरा नाम जोड़े
बावरा मन हर जगह खोया सा तेरा प्रीत ढूंढे।
काश! काली रात सा मैं भी किसी पल बीत जाऊँ
मन कहे इक गीत गाऊँ।।
-अभिषेक शुक्ल

2 टिप्‍पणियां: