कितना भी तुम छिप लो राधा
तुम्हे रंगने आऊंगा
बरसाने से वृन्दावन तक तुमको
मैं दौड़ाऊँगा,
चाहे तुम कितना भी छिप लो रंग बिरंगी गलियों में
तुमको अपने प्रीत के रंग में भीतर तक रंग जाऊंगा।।
तुमसे न डरती हूँ कान्हा! तुम न मुझे
रँग पाओगे,
अपने रँग दिखा दूँ तुमको तो मुझसे
डर जाओगे,
चढ़ा हुआ है रँग प्यार का मेरे तो
मन मंदिर में
रँग-बिरंगी राधा को तुम कहाँ भला
रँग पाओगे??
- आप सबको अभिषेक की ओर से होली की बहुत-बहुत बधाई