मेरे मन में वेदना है
विस्मृत सी अर्चना है ;
आँखे ढकी हैं मेरी
मुझे विश्व देखना है.
नयनो पे है संकट
पलकें गिरी हुई हैं;
कुछ विम्ब भी न दिखता
दृष्टि बुझी- बुझी है.
संध्या भी बढ़ रही है
मुझे सूर्य रोकना है,
इस अन्धकार जग में,
नया तूर्य खोजना है.
नैराश्य की दिशा में ,
अब विश्व चल पड़ा है
नेत्र हीन होकर
बस युद्ध कर रहा है.
न मानव है कहीं पर
मानवता न शेष अब है,
आतंक के प्रहर में
भयभीत अब सब हैं.
कोई उपाय है जो
शान्ति को बचा ले?
भूले हुए पथिक को,
इक मार्ग फिर दिखा दे.
परिणाम हीन पथ पर
क्यों बढ़ रहे कदम कुछ?
ये विषाक्त मानव
क्या कर रहा नहीं कुछ?
भयाक्रांत हैं दिशाएँ
किसे दर्प हो रहा है?
किन स्वार्थों से मानव
अब सर्प हो रहा है?
मानव की बस्तियों में
विषधर कहाँ से आये?
सोये हुए शिशु को
चुपके से काट खाए?
क्या सीखें हम विपद से
असमय मृत्यु मरना?
या शक्तिहीन होकर,
असहाय हो तड़पना?
बिन लड़े मरे तो,
धिक्कार हम सुनेंगे,
कायर नहीं कभी थे,
तो आज क्यों रहेंगे?
हिंसा के पुजारी
हिंसा से ही डरेंगे,
प्रतिघात वो करेंगे,
संहार हम करेंगे.
.”प्रति हिंसा हिंसा न भवति” .
बहुत सुन्दर सामयिक अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सूंदर प्रस्तुति अभिषेक जी .
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (07.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें . कृपया वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें . कमेन्ट में सुविधा होगी ..
धन्यवाद नीरज जी।
जवाब देंहटाएंword verification हटाने का प्रयत्न कर रहा हूँ सेटिँग समझ मेँ नही आ रही है असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूँ। ...आभार
सुन्दर ,सरल और प्रभाबशाली रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
आपका ब्लाग पढ़ना मेरा सौभाग्य होगा....उत्साहवर्धन हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंलिखते रहिए मित्र।
abhaar sir..!
जवाब देंहटाएंWhat we are going to be doing is called - A "domain masking".
जवाब देंहटाएंOne of the reasons I love using the internet to make money is the
fact that it can - A be done - A with little startup cost.
Here, rather than falling back into the routine of looking for a job, one
can create one's own opportunity for making money online.
Visit my web page - legitimate ways to make money online
A pгo hormone is a precursor of hormoneѕ but it doesn't
जवाब देंहटाएंhave much of hormonal effectѕ ߋn its own. Yet,
they continue to eat equally large amounts of food like when they're training.
Excellent solutions like maҝing a cɦoice on low calߋrie nutгitiߋn and planning this meals
well remain more reаlistic.
Visіt my web page: turbulence Training Pdf