बुधवार, 29 अगस्त 2012
.............तलाश ...........
इन हवाओं में नमी है
शायद ये भी
साथ हैं मेरे ;
कहना चाहते हैं कुछ
पर
लफ्ज़ नहीं मिले ;
दर लगता है कहीं
ये नमी समंदर न बन जाए ;
और
साहिल पर
रेत के अलावा कुछ न मिले
इन आँखों का क्या है?
बहती रहती हैं ,
कुछ जाने bina ,
किसी की तलाश में ,
किस्मत ही कुछ ऐसी है कि ;
तलाश कभी
ख़त्म ही
नहीं होती..........
रेत के महल बनाकर
गलती कर बैठा
जानते हुए भी
कि;
एक झोका ही काफी है,
बर्बाद करने के लिए ;
अब तो आदत में ,
शामिल है
जुड़ना ,
टूटना ,
और ,
फिर चलते रहना......................
शुक्रवार, 24 अगस्त 2012
...मेरी मिट्टी...
मेरी मिट्टी पुकारती मुझको ,
लौट आओ मेरे अंचल में ;
तेरी आंखे सूनी सूनी हैं ,
आजा भर दू इनको काजल से ;
मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;
उडती धुल मुझसे कहती है
सिमट जा आज मेरी बाहों में ;
ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं
मुझे तुझ से बात करनी है ;
ज़रा पास से गुजर जा तू
मैं जड़ हु तू मेरी टहनी है ;
हवाओं ने कहा चुपके से
ये रात सहमी सहमी है ;
तेरा इंतज़ार है मुझ को
मुझे तुझ से बात करनी है.........
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