सोमवार, 5 मार्च 2012

क्यों............?

इन दिनों जाने क्यों ,
खुद से दूरी बढ़ी ,
मैं अलग हो गया ,
हर पल हर घडी ,
ये फलक ये जमी ,
है अधूरी सी क्यों ?
ये सड़क ये गली ,
सूनी सूनी सी क्यों ?
मेरे हर कदम ,
पड़ रहे हैं किधर ,
चल जाता हु मैं
मैं न जाता जिधर ,
कोई आवाज़ हरदम
बुलाती रही ,
तन्हाई में मुझको ,
सताती रही ,
अब मुझे मेरा रास्ता
बता दे खुदा ,
मैं क्यों हो गया हूँ खुद से जुदा ,
एक तस्वीर आँखों से हटती नहीं ,
उसे खोजता है मेरा दिल कही ,
उसको देखे सदियाँ गुज़रती गयी ,
देखने कि ख्वाहिस दबी है कही ,
मुझे मेरी मंजिल दिला दे खुदा ,
आज भी क्यों है तू मुझसे khafa
मेरी नज़रों से दूर न जाना कभी ,
मेरी मल्लिका तुम रहना यही ,
मेरी हसरत है तुम पास आती रहो ,
दूर से ही सही
मुस्कुराती रहो ....

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