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बुधवार, 12 अगस्त 2015

ड्रामामय भारत

आजकल हर तरफ ड्रामा चल रहा है.....मेरे हॉस्टल से लेकर संसद तक।
ड्रामा,हंगामा या अभिनय जो भी हो...सारे कार्यक्रम बड़े दमघोंटू  लग रहे हैं।
कहीं नए भगवान् पैदा हो जा रहे हैं तो कहीं आदिशक्ति...कहीं अल्लाह के रक्षक अल्लाह के बंदों पर कहर बरसा रहे हैं, क़त्ल कर रहे हैं..तो कुछ ऐसे भी नेक बन्दे हैं जो ईश्वर को गाली दे रहे हैं।.किसी को हिंदुओं को मारने में मज़ा आ रहा है...तो कोई घरवापसी में मगन है।
आज भगवान् के घर में भगदड़ मची दर्ज़नो लोग भगवान् के पास ही पहुँच गए।
प्रधानमंत्री जी भाइयों एवं बहनो में व्यस्त हैं...तो विपक्षी पार्टी ने संसद को प्राइमरी पाठशाला बना दिया है...अंतर बस इतना सा है कि प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चों से थप्पड़ कर उन्हें सभ्य बनाया जा सकता है लेकिन संसद वाले बच्चों पर कोई लगाम ही नहीं कसा जा सकता.....इन्हें हंगामे करने की मोटी तनख़्वाह दी जाती है...कमीशन भी...घूस भी....एक तो यूनिफार्म इनका ऐसा है कि जितने काले करतूत उतने साफ़ कपडे..।
वाद से भारत का तो रिश्ता पुराना है...जातिवाद, धर्मवाद, सम्प्रदायवाद,मार्क्सवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद, अलगाववाद..बलात्कार वाद...हर वाद में भारत अव्वल है...हर विषय पर सीरियल, एपिसोड बन रहा है.....टी.वी. खोलिए चैनल बदलिये..और जी भर के कोसिये अपने आपको...कि आपको नींद नहीं आ रही है....मुझे पता है कि मैं बकवास कर रहा हूँ पर न करूँ तो frustrate होना तय है...कसम से देशव्यापी ड्रामे ने न मेरा सर खा लिया है.....इस बड़े लेवल वाले ड्रामे से मेरे हॉस्टल वाला ड्रामा ठीक है...कम से कम बोलने वाले को चुप तो कराया जा सकता है...टांग पकड़ कर बहार फेंका जा सकता है या सामने वाले पार्क में कुछ देर खुद से बात तो किया जा सकता है...इन संसद वालों का क्या करें......कोई idea हो तो बताओ भाई...इन्हें कैसे सुधारें.....देश के सारे नमूने संसद में हैं...खैर समस्या संसद में ही नहीं है.....संसद के बाहर भी हैं...हमारे आस-पास भी हैं...हम-तुम ही हैं..#बक़वासतुमभीकरो

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