जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
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सोमवार, 14 नवंबर 2016
तुम अलग युग की कहानी
तुम अलग युग की कहानी हम अलग युग की कथा हैं, व्यक्त जिनको कर न पाए मूकवत मन की व्यथा हैं ।। तुम किसी मरुभूमि में से मेघ का संधान हो क्या? साधना की ही नहीं पर ईश का वरदान हो क्या??
जय मां हाटेशवरी... अनेक रचनाएं पढ़ी... पर आप की रचना पसंद आयी... हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें... इस लिये आप की रचना... दिनांक 15/11/2016 को पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की गयी है... इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 15/11/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंहम कथा तुम कहानी हो
प्रेम की बात आनी जानी हो
सुन्दर शब्द रचना
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