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सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

सिर्फ तुम्हारे लिए

कई चाहत दबी दिल में,
जो अक्सर टीस भरती हैं,
मेरे ख्यालों में आकर
मुझी को भीच लेती हैं ,
कई राहों से गुजरा हूँ
दिलों को तोड़कर अक्सर,
मगर कुछ ख़ास है तुझ में,
जो मुझको खींच लेती है.''


(कभी आपने मुझे मंच पर गीत गाते हुए नहीं देखा है न? ये रही मेरी तस्वीर सोचिये कि माइक मेरे हाथ में है और मैं गा रहा हूँ।)

तुम्हारी आँख लगती है
तो आँखे बंद होती है,
तुम्हारी नींद खुलती है
तो साँसे मंद होती है,
अजब है हाल -ए-दिल मेरा
जुड़ा हूँ जब से मैं तुमसे,
मेरे दिल के धड़कन से
मेरी ही जंग होती है.

मेरे ख्यालों से अब निकलो,
ये दुनिया भी तो खाली है,
है खुशियों का यहाँ मंज़र
समझ लो कि दिवाली है,
मेरी अँधेरी दुनिया को
मेरे ही पास रहने दो,
उम्मीदों कि ये जो लौ है
वो अब बुझने वाली है.

यहाँ जब भी हवा चलती
तो आँखे नम सी होती हैँ,
तुम्हे जब सोचता हूँ मैँ तो
रातेँ कम सी होती हैँ,
अजब है गम का भी आलम
न कुछ कह के कह पाऊँ,
तुम्हारे बिन मेरी दुनिया
बड़ी बेदम सी होती है.
(बिना प्यार किए प्यार लिखना मुश्किल होता है न?)

11 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे ख्यालों से अब निकलो,
    ये दुनिया भी तो खाली है,
    है खुशियों का यहाँ मंज़र
    समझ लो कि दिवाली है,
    मेरी अँधेरी दुनिया को
    मेरे ही पास रहने दो,
    उम्मीदों कि ये जो लौ है
    वो अब बुझने वाली है.
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति मित्रवर अभिषेक जी

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  2. आज 21/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  3. बहुत ही सुंदर रचना। ऐसे ही लिखते रहिए।

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  4. ख्यालों में आ जाने के बाद ... उन्हें निकालना आसान नहीं होता ...
    प्रेम भरी लाजवाब रचना ...

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  5. मेरे ही पास रहने दो,
    उम्मीदों कि ये जो लौ है
    वो अब बुझने वाली है.
    ...........बहुत ही सुन्दर लाजवाब रचना

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  6. बहुत खूब ..........पंक्तियों को तो मैं एक ही सांस में पढता चला गया!

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