जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
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शनिवार, 6 सितंबर 2014
कशिश!!
'' मेरे ख्यालों से अब निकलो, ये दुनिया भी तो खाली है, है खुशियों का यहाँ मंज़र, समझ लो कि दिवाली है, मेरी अँधेरी दुनिया को मेरे ही पास रहने दो, उम्मीदों कि ये जो लौ है, वो अब बुझने वाली है.''
लाज़वाब
जवाब देंहटाएंबढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं..अधेरा है तो उजाला भी है ..
उम्मीद है तो नाउम्मीद भी है
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअवसाद का दर्शन क्यों प्रकृति हवा पेड़ पानी सब कुछ हमारे साथ तादात्म्य बनाये हुए हैं एक वो नहीं तो क्या।
जवाब देंहटाएंउम्मीदें कायम रहें..
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