जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
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शनिवार, 18 मार्च 2017
कुछ तो मेरा इलहाम रहे
दिन भर कोई काम करूं पर शाम तुम्हारे नाम रहे तुमको पल भर ना बिसराना एक ही मेरा काम रहे, क़ातिल शोख़ अदाओं से तुम दुनिया भर की चाह बनो आख़िर में मेरी हो जाना कुछ तो मेरा इलहाम रहे।
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