जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
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शनिवार, 18 फ़रवरी 2017
यहां जब भी हवा चलती
यहां जब भी हवा चलती तो आँखे नम सी होती हैं कभी जब सोचता तुमको तो रातें कम सी होती हैं, अज़ब है ग़म का भी आलम न मैं कुछ कह के कह पाऊँ, बिना तेरे मेरी सांसें बड़ी बेदम सी होती हैं।।
शानदार पोस्ट ... बहुत ही बढ़िया लगा पढ़कर .... Thanks for sharing such a nice article!! :) :)
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