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रविवार, 11 दिसंबर 2016

आभासी दुनिया के लड़ाके

भक्त भक्षकों और भक्त रक्षकों ने फेसबुक को नरक बना दिया है।दोनों ख़ुद को यमराज समझने लगे हैं।मौका मिलते ही दोनों एक-दूसरे पर ऐसे टूटते हैं कि जैसे बिना विरोधी मारे मोक्ष नहीं मिलेगा।
जो भक्षकों की विचारधारा का खंडन करे, उनसे असहमति जताए वो भक्त, संघी और अराजक है।
यही हाल रक्षकों का है। उनके नज़र में सरकार की आलोचना करना देशद्रोह है। आलोचक और आतंकवादी होना एक ही बात है।
दोनों प्रकार के लोग अपनी राहों से भटके हुए हैं।
उदारवादी लोग भी उतने ही अराजक और असभ्य हैं जितने कि इनके विरोधी रूढ़िवादी लोग।
वास्तव में दोनों विचारधाराओं के लोग अतिवादिता के मारे हुए लोग हैं।
इन दिनों स्वतंत्र चिंतन, विचार हीनता के धुंध में ओझल है। किसी को कहीं दिख जाए तो उसे ठीक पते पर पार्सल करना न भूलें। देश आपका आभारी रहेगा।

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