वंदे मातरम्
जिस नक्षत्र में जय ही जय हो, उसमें ठहर-ठहर बीतूंगा.
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Abhishek Shukla
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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016
मेरी आँखों में उतरी 😊😊
मेरी आँखों में उतरी इश्क़ की ऐसी
वीरानी है
कि जैसे तुमको पाने की मेरी चाहत
पुरानी है !!
सुचिता के तूलिका से....
1 टिप्पणी:
दिगम्बर नासवा
7 फ़रवरी 2016 को 12:23 am बजे
चाहत पुरानी हो तो पूरी भी होती है ...
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चाहत पुरानी हो तो पूरी भी होती है ...
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