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गुरुवार, 2 जनवरी 2014

बीते लम्हे

बीते साल के कुछ खूबसूरत लम्हे जो अब बस स्मृतियों में हैं-
 न मैं कवी हूँ,न कवितायें
मुझे अब रास आती हैं;
मैं इनसे दूर जाता हूँ,
ये मेरे पास आती हैं,
हज़ारों चाहने वाले
पड़े हैं इनकी राहों में,
मगर कुछ ख़ास मुझमें है,
ये मेरे साथ आती हैं.



''कई चाहत दबी दिल में,
 जो अक्सर टीस भरती हैं,
 मेरे ख्यालों में आकर
 मुझी को भीच लेती हैं ,
 कई राहों से गुजरा हूँ
दिलों को तोड़कर अक्सर,
 मगर कुछ ख़ास है तुझ में,
 जो मुझको खींच लेती है.''
तुम्हारी आँख लगती है
तो आँखे बंद होती है,
तुम्हारी नींद खुलती है
तो साँसे मंद होती है,
अजब है हाल -ए-दिल मेरा
जुड़ा हूँ जब से मैं तुमसे,
मेरे अपने ही धड़कन से
मेरी ही जंग होती है.
मेरे ख्यालों से अब निकलो,
ये दुनिया भी तो खाली है,
है खुशियों का यहाँ मंज़र,
समझ लो कि दिवाली है,
मेरी अँधेरी दुनिया को
मेरे ही पास रहने दो,
उम्मीदों कि ये जो लौ है,
वो अब बुझने वाली है.
यहाँ जब भी हवा चलती
 तो आँखे नम सी होती हैँ,
तुम्हे जब सोचता हूँ मैँ तो
रातेँ कम सी होती हैँ,
अजब है गम का भी आलम
न कुछ कह के कह पाऊँ,
तुम्हारे बिन मेरी दुनिया
बड़ी बेदम सी होती है.

10 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा है !
    नववर्ष शुभ हो मंगलमय हो !

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  2. आप सबको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...बहुत बहुत आभार

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  3. आप को नव वर्ष 2014 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 05/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  4. काफी उम्दा प्रस्तुति.....

    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को "तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483" पर भी रहेगी...!!!

    आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!

    - मिश्रा राहुल

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  5. सूचना देने के लिए आभार.. नव वर्ष मँगलमय हो

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर |
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |

    नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति

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  7. सुंदर भाव संयोजन...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...

    जवाब देंहटाएं