tag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post7789537241762547063..comments2024-02-25T07:42:49.607-08:00Comments on वंदे मातरम्: मौलिकता भ्रम से इतर कुछ भी नहीं.....अभिषेक शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post-91250001898799587882020-07-11T06:24:16.912-07:002020-07-11T06:24:16.912-07:00नहीं सर. पूरी दुनिया भ्रम पर टिकी है.नहीं सर. पूरी दुनिया भ्रम पर टिकी है.अभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post-29324419847798120992020-07-11T06:23:48.590-07:002020-07-11T06:23:48.590-07:00आभार सर.आभार सर.अभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post-45964756946308188922020-07-11T06:23:24.587-07:002020-07-11T06:23:24.587-07:00हां, लेकिन लोग ढीठ हैं. स्वीकारते ही नहीं हैं.हां, लेकिन लोग ढीठ हैं. स्वीकारते ही नहीं हैं.अभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post-44398637983791976922020-07-03T21:08:59.430-07:002020-07-03T21:08:59.430-07:00बिलकुल सही कहा आपने शत प्रतिशत सहमत हूँ मैं। जिन्ह...बिलकुल सही कहा आपने शत प्रतिशत सहमत हूँ मैं। जिन्हें भी हम पढ़ते हैं उनके प्रभाव में ही हम लिखते हैं बचपन में पढ़े से लेकर अब तक जो पढ़ रहे हैं सारा ज्ञान और विचार संचार उन्ही से होता है अतः कुछ अंश समाहित होना स्वाभाविक है। हाँ लिखने के अंदाज़ अलग सबके हो सकते हैं लेकिंन विषय और विचार लगभग एक से ही होते हैं तो दोहराव स्वाभाविक ही है और मौलिक आप लिखेंगे क्या जो घट रहा है जो महसूस कर रहे हैं उसी पर अपनी अभिव्यक्ति देंगे और ये स्वीकार्य होनी ही चाहिए। <br /><br />djhttps://www.blogger.com/profile/09135162402074927712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3204797356079413931.post-12472250840874138652020-06-02T21:59:33.812-07:002020-06-02T21:59:33.812-07:00हा हा। अब जो साहित्यकार नहीं हैं? दूसरा साहित्यकार...हा हा। अब जो साहित्यकार नहीं हैं? दूसरा साहित्यकार कौन है उसका पैमाना कौन तय करेगा?<br />सबसे अच्छा है सबके अपने अपने भ्रम बने रहें। क्यों कुछ गलत कहा?सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com